तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने 24 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करते हुए कश्मीर का ज़िक्र नहीं किया
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने 24 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को संबोधित करते हुए कश्मीर का उल्लेख नहीं किया। यह पहली बार है जब उन्होंने कश्मीर पर चुप्पी साधी है, जबकि 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद से वे लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की अब ब्रिक्स में शामिल होने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए भारत की सहमति महत्वपूर्ण है। अर्दोआन ने अपने भाषण में साइप्रस, लेबनान, इजराइल, सीरिया और यूक्रेन का ज़िक्र किया, लेकिन कश्मीर पर कुछ नहीं कहा।
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अटलांटिक काउंसिल के वरिष्ठ फेलो वजाहत एस ख़ान ने इस बदलाव पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अर्दोआन ने दशकों तक कश्मीर का मुद्दा उठाया, लेकिन अब तुर्की का रुख़ बदल रहा है। पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक़्क़ानी ने भी इस पर तंज कसते हुए कहा कि कश्मीर पर अब अंतरराष्ट्रीय समर्थन कम होता दिख रहा है।
क्या अर्दोआन की यह चुप्पी भारत की कूटनीतिक जीत है? या फिर यह तुर्की की बदलती विदेश नीति का संकेत?